रिपोर्ट -चन्दन कुमार
बिहार के बांका जिले में आगामी विधानसभा चुनाव को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने के लिए जिला प्रशासन ने एक नया और सख्त फैसला लिया है। चुनावी खर्च पर निगरानी बढ़ाने के तहत अब हर उम्मीदवार को अपने चुनाव प्रचार में खर्च होने वाले हर सामान और सेवा का जीएसटी सहित पक्का बिल देना अनिवार्य कर दिया गया है। चाहे वो चाय हो या रसगुल्ला, हर चीज़ का हिसाब देना होगा।
🎯 क्या है प्रशासन का उद्देश्य?
चुनावी व्यय की सीमा का सख्ती से पालन कराना
फर्जी खर्च दिखाने या पैसे के दुरुपयोग पर रोक लगाना
पारदर्शी और निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया सुनिश्चित करना
📋 तय किए गए दरें (रेट लिस्ट)
🗣️ प्रचार साधन:
सेवा दर (रुपये प्रति दिन)
माइक व लाउडस्पीकर (बैटरी सहित) ₹1000
होटल व कमरेका प्रकार दर
सामान्य एसी/नॉन एसी ₹1000–₹1500
डबल बेड एसी/नॉन एसी ₹1500–₹2000
डीलक्स एसी/नॉन एसी ₹2000–₹2500
🍱 भोजन और नाश्ता का दर.
शाकाहारी/मांसाहारी भोजन ₹100–₹200 प्रति प्लेट
समौसा, लिट्टी, कचौड़ी ₹10 प्रति पीस
रसगुल्ला (बड़ा/छोटा) ₹10–₹15 प्रति पीस
चाय (साधारण/स्पेशल) ₹10–₹15 प्रति कप
कॉफी ₹20 प्रति कप
बोतलबंद पानी ₹15 प्रति लीटर
पान ₹10 प्रति पान
🧾 स्टेशनरी की सामान दर.
कागज ₹25 प्रति जिस्ता
टैग ₹100 प्रति गुच्छा
कार्बन ₹140
स्टेपलर पिन ₹12 प्रति पैकेट
कंप्यूटर पेपर ₹210
स्केल (12 इंच) ₹12
पिन ₹22 पैकेट
छेदक ₹120
🚗 वाहनों का किराया: वाहन दर (रुपये प्रतिदिन)
बोलेरो/सुमो/मार्शल ₹1000
बोलेरो/सुमो/मार्शल (एसी) ₹1200
जाइलो/स्कार्पियो/क्वालिस ₹1600
इनोवा/सफारी (एसी) ₹1800
पजेरो/फॉर्च्यूनर/लग्जरी वाहन ₹2500
बस (50 सीटर) ₹2900
बस (40 सीटर) ₹2600
ट्रैक्टर ₹800
🛑 प्रशासन का सख्त निर्देश:
सभी खर्चों के लिए बिल संलग्न करना अनिवार्य होगा।
तय रेट से अधिक भुगतान दिखाना संभव नहीं होगा।
उल्लंघन करने पर कार्रवाई की जाएगी।
यह कदम निर्वाचन आयोग की गाइडलाइंस के अंतर्गत उठाया गया है और इसका मकसद चुनावों में काले धन के उपयोग को रोकना तथा उम्मीदवारों को प्रत्याशियों के लिए निर्धारित खर्च की सीमा के भीतर रहकर चुनाव लड़ने के लिए बाध्य करना है।



