बांका। मेरा रेशम मेरा अभिमान (एमआरएमए) अभियान के अंतर्गत रेशम तकनीकी सेवा केंद्र, केंद्रीय रेशम बोर्ड, भागलपुर की ओर से गुरुवार को अमरपुर प्रखंड के डुमरामा में तसर रेशम रीलिंग और कताई पर विशेष तकनीकी प्रदर्शनी कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन जिला उद्योग केंद्र, बांका के महाप्रबंधक (जिला नोडल पदाधिकारी, एमआरएमए) के समन्वय से किया गया।
प्रदर्शनी में 35 प्रतिभागियों ने सक्रिय भागीदारी की। उनके बीच बुनियाद रीलिंग मशीन और मोटराइज्ड स्पिनिंग मशीन का प्रदर्शन किया गया। बुनियाद मशीन पर आंशिक स्टार्चिंग विधि के जरिए बेहतर कोहेशन के साथ धागा तैयार करने और लकड़ी के फ्रेम (नटवा) पर रीलिंग की तकनीक दिखाई गई। वहीं मोटराइज्ड स्पिनिंग मशीन पर तसर सिल्क कताई का प्रदर्शन किया गया, जिससे कटे या कमजोर कोकून से मोटा धागा आसानी से तैयार किया जा सकता है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रेशम तकनीकी सेवा केंद्र, भागलपुर के वैज्ञानिक-सी एवं प्रभारी श्री त्रिपुरारी चौधरी ने आधुनिक रीलिंग और कताई तकनीकों के लाभों पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पारंपरिक तरीकों की तुलना में नई तकनीकें न केवल धागे की गुणवत्ता बढ़ाती हैं, बल्कि उत्पादकता और आय में भी इजाफा करती हैं। साथ ही क्लस्टर के विकास के लिए कॉमन फैसिलिटी सेंटर (सीएफसी) मॉडल की प्रासंगिकता पर भी प्रकाश डाला।
वैज्ञानिक-बी श्री आकाश शर्मा ने एमआरएमए अभियान के महत्व पर विस्तृत व्याख्यान दिया और पारंपरिक बनाम आधुनिक तकनीकों का तुलनात्मक विश्लेषण प्रस्तुत किया। इस मौके पर जिला उद्योग केंद्र बांका के प्रतिनिधि श्री राजू कुमार सिन्हा और श्री धर्मेंद्र गौड़ भी मौजूद रहे। उन्होंने इस पहल की सराहना करते हुए प्रतिभागियों को आधुनिक तकनीकों को अपनाने और कौशल विकास के जरिए रोजगार के नए अवसर सृजित करने के लिए प्रेरित किया।
कार्यक्रम में प्रतिभागियों का उत्साह इस बात का प्रतीक रहा कि कारीगर अपने शिल्प और आजीविका को उन्नत करने के लिए नवीन तकनीकों को अपनाने को लेकर गंभीर और उत्साहित है।