बांका में शंभूगंज और रजौन में फर्जी शिक्षकों पर गिरी गाज, तीन पर प्राथमिकी दर्ज

 

हमसे जुड़े

Facebook Instagram WhatsApp YouTube

डेक्स रिपोर्ट-पटना ब्यूरो

बांका। जिले के शंभूगंज और रजौन प्रखंड में कार्यरत तीन शिक्षकों पर निगरानी अन्वेषण ब्यूरो, पटना ने बड़ी कार्रवाई की है। शैक्षणिक प्रमाण-पत्रों की जांच के बाद तीनों का प्रमाण-पत्र फर्जी पाया गया, जिसके आधार पर संबंधित थानों में प्राथमिकी दर्ज करा दी गई है। कार्रवाई के बाद क्षेत्र में हड़कंप मच गया है।

हाईकोर्ट के आदेश पर हो रही जांच

बता दें कि पटना हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद दिए गए आदेश के आलोक में पूरे बिहार में नियोजित शिक्षकों के शैक्षणिक प्रमाण-पत्रों की जांच की जा रही है। इसके लिए जिलावार अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की गई है। इसी जांच के दौरान बांका जिले में शंभूगंज और रजौन प्रखंड में तीन शिक्षकों का प्रमाण-पत्र फर्जी पाया गया।

रजौन में फर्जी शिक्षिका दीपा कुमारी पर कार्रवाई

रजौन प्रखंड के प्राथमिक विद्यालय कोलहड्डा में पदस्थापित पंचायत शिक्षिका दीपा कुमारी, निवासी शास्त्रीनगर (कासिम बाजार थाना, मुंगेर) का नियोजन वर्ष 2006 में हुआ था। जांच में उनका मैट्रिक अंक पत्र कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय से फर्जी पाया गया। शिक्षिका ने स्वेच्छा से त्यागपत्र भी नहीं दिया। इसके बाद निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने रजौन थाना को उनके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कर कानूनी कार्रवाई का निर्देश दिया। पुलिस ने मामला दर्ज कर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है।

 

गिरफ्तारी के लिए छापेमारी

पुलिस ने एफआईआर दर्ज होने के बाद पल्लवी कुमारी और निरंजन कुमार की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी शुरू कर दी है। वहीं रजौन थाना पुलिस भी शिक्षिका दीपा कुमारी पर कानूनी कार्रवाई में जुट गई है।

फर्जी शिक्षकों पर लगातार कार्रवाई

गौरतलब है कि इससे पहले भी शंभूगंज प्रखंड क्षेत्र से दो दर्जन फर्जी शिक्षकों पर कार्रवाई की जा चुकी है। फिर भी अब भी कई शिक्षक नकली प्रमाण-पत्र के सहारे सरकारी विद्यालयों में पढ़ा रहे हैं। जानकारों के अनुसार, जिले में एक दर्जन से अधिक फर्जी शिक्षक अब भी निगरानी विभाग के रडार पर हैं।

निगरानी विभाग का सख्त रुख

निगरानी अन्वेषण ब्यूरो का कहना है कि कार्रवाई देर से जरूर हो रही है, लेकिन कोई भी फर्जी शिक्षक बच नहीं पाएगा। विभाग का स्पष्ट निर्देश है कि जाली प्रमाण-पत्र पर नियोजित सभी शिक्षकों को बर्खास्त कर उनके विरुद्ध आपराधिक मामला दर्ज किया जाए।

शिक्षा व्यवस्था पर सवाल

फर्जी शिक्षकों के उजागर होने से एक बार फिर नियोजन प्रक्रिया पर सवाल खड़े हो गए हैं। ग्रामीण इलाकों में पढ़ाई की गुणवत्ता पर भी इसका सीधा असर पड़ा है। स्थानीय लोग सवाल उठा रहे हैं कि वर्षों से फर्जी प्रमाण-पत्र के आधार पर नौकरी कर रहे शिक्षक बच्चों का भविष्य किस तरह गढ़ सकते हैं।