बांका के कटोरिया प्रखंड के आदिवासी बहुल बंगालगढ़ गांव के दो प्रगतिशील किसानों बहादुर दास और प्रमिला मुर्मू को लाह की खेती के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के स्थापना दिवस पर सम्मानित किया गया। मुख्य अतिथि पूर्व केंद्रीय मंत्री सैयद शाहनवाज हुसैन, सांसद अजय मंडल और भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली के निदेशक एवं कुलपति डॉ. श्रीनिवासन राव ने दोनों किसानों को मंच पर प्रशस्ति-पत्र और अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया।
बहादुर दास एक सीमांत किसान हैं जिनके पास मात्र पांच बीघा पहाड़ी जमीन है। वर्ष 2022 में उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) बांका का भ्रमण किया और पलास वृक्षों से आय बढ़ाने के उपाय पूछे। केवीके के वैज्ञानिकों ने उन्हें पलास पर लाह कीट पालन की सलाह दी। प्रशिक्षण लेने के बाद बहादुर दास ने 100 पलास पेड़ों पर लाह उत्पादन शुरू किया और पहले चरण में 15 किलो चौरी लाह प्राप्त की। इसे प्रसंस्करित कर 10 किलो बटन लाह तैयार किया गया। इसके अलावा उन्होंने लाह से चूड़ी, पेपरवेट आदि बनाना भी सीखा, जिससे उन्हें लगभग 95 हजार रुपये का शुद्ध लाभ हुआ।
वहीं, महिला किसान प्रमिला मुर्मू के पास तीन बीघा पैतृक जमीन है। वह जीविका समूह से जुड़कर आत्मनिर्भर बनीं। केवीके से प्रशिक्षण प्राप्त कर उन्होंने 50 पलास पेड़ों पर लाह की खेती शुरू की, जिससे 6 किलो चौरी लाह प्राप्त हुआ। उसे प्रसंस्करण कर 8 किलो बटन लाह बनाया गया और चूड़ी, लहठी, पेपरवेट आदि तैयार कर करीब 75 हजार रुपये का शुद्ध मुनाफा कमाया।
इन दोनों किसानों की सफलता से प्रेरित होकर अब आस-पास के गांवों के कई किसान लाह की खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं। इनकी मेहनत और नवाचार ने “अवशेष से विशेष” की अवधारणा को साकार कर दिया है।