भागलपुर| गंगा में आई बाढ़ के उफ़ान ने भागलपुर जिले के कई निचले इलाकों को जलमग्न कर दिया है। दर्जनों गांवों में अब भी कमर भर से अधिक पानी जमा है, जिससे लोगों की दिनचर्या पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गई है। हालात यह हैं कि बीमार पड़ने पर मरीजों को खाट या नाव के सहारे मुख्य सड़क तक पहुंचाना पड़ रहा है। खाने-पीने की समस्या भी गंभीर बनी हुई है। जिला प्रशासन ने कम्युनिटी किचन शुरू किया है, लेकिन उसमें केवल एक समय का भोजन मिलने से लोगों की मुश्किलें कम नहीं हुई हैं। कई घरों में पानी भर जाने के कारण परिवारों को पलायन करना पड़ा है, जबकि कुछ लोग मजबूरी में उसी हालात में रहने को विवश हैं। पानी घटने की शुरुआत तो हो चुकी है, लेकिन इसके साथ ही कटाव का खतरा और मच्छरजनित व जलजनित बीमारियों का डर भी बढ़ गया है। गांवों में पिछले 15 दिनों से स्कूल बंद हैं, जिससे बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह बाधित हो गई है।
सबौर प्रखंड का बाबूपुर गांव भी बाढ़ की मार झेल रहा है। यहां की गलियां और खेत पानी में डूबे हुए हैं। लोग नाव या अस्थायी बेड़े के सहारे आवाजाही कर रहे हैं। बाढ़ के बीच सांप और अन्य जहरीले जीव-जंतु का खतरा भी लगातार बना हुआ है। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन की ओर से राहत सामग्री समय पर नहीं पहुंच रही और न ही स्वास्थ्य शिविरों की पर्याप्त व्यवस्था है। स्थानीय लोग बताते हैं कि बाढ़ का पानी उतरने के बाद भी उनकी समस्याएं खत्म नहीं होंगी। खेतों में गाद जमने से फसल बर्बाद हो जाएगी और कटाव से घर-खेत बहने का डर है। इसके अलावा, साफ पानी और स्वच्छता की कमी के कारण डायरिया, टाइफाइड और मलेरिया जैसी बीमारियों का खतरा मंडरा रहा है। ग्रामीणों ने मांग की है कि प्रशासन राहत और पुनर्वास कार्य में तेजी लाए, सभी प्रभावित परिवारों को पर्याप्त राशन, स्वच्छ पानी और स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराए, ताकि बाढ़ के बाद की चुनौतियों से निपटा जा सके। फिलहाल, लोग उम्मीद लगाए बैठे हैं कि हालात जल्द सामान्य हों और वे अपने घर-आंगन में फिर से सुरक्षित जीवन बिता सकें।