रिपोर्ट-निवास कुमार सिंह
बांका जिले के शंभूगंज प्रखंड स्थित ऊंचा टोला कुन्नथ गांव में मां काली मंदिर करीब 200 वर्ष पुरानी है। यह मंदिर खप्पड़ वाली काली के नाम से विख्यात है। इसकी खास विशेषता यह है कि जो भी भक्त सच्चे मन से मंदिर पहुंचते हैं, उनकी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।
इतिहास – करीब 200 वर्ष पहले मंदिर की स्थापना गांव के ही शिव नंदन ठाकुर के वंशजों ने किया था । स्थापना काल से ही ठाकुर के वंशजों द्वारा खुद प्रतिमा का निर्माण भी करते हैं। मेढ़पति बजरंगी ठाकुर , पुजारी परमानंद झा सहित अन्य ने बताया कि एक बार गांव में भीषण हैजा जैसी महामारी फैल गई । रोज श्मशान का चक्कर लगना शुरु हो गया । इस दौरान शिवनंदन ठाकुर के पूर्वजों को मां काली ने स्वपन दिया । सुवह होते ही खप्पड में अग्नि प्रज्जवलित कर मां काली की अराधना की गई । तभी से खप्पड़ वाली काली नाम पड़ा ।
पाठाबलि की है प्रधानता – पाठाबलि की विशेष महत्व है। काली पूजा में करीब 400 से भी अधिक पाठा दी जाती है। हलांकि पाठाबलि विशनपुर , धरमपुर इत्यादि अन्य स्थानों पर भी दी जाती है।
क्या कहते हैं समिति सदस्य – सभी ग्रामीण आपस में चंदा इक्ट्ठा कर धूमधाम से पूजा – पाठ करत हैं। वर्तमान में पूजा समिति के अध्यक्ष रंजीत सिंह एवं सचिव सुबोध सिंह हैं | बताया कि सभी ग्रामीण शांति और सौहार्द पूर्ण माहौल में पूजा अर्चना करते हैं। बताया कि मां की शक्ति अपरंपार है। यह कारण है कि झोपड़ीनुमा मंदिर भवन में बदल गया ।
प्रखंड में 10 स्थानों पर होती है मां काली की प्रतिमा स्थापित – प्रखंड के कुन्नथ, करसोप, धरमपुर, विशनपुर, पीपरा, भरतशीला सहित 10 जगहों पर काली की प्रतिमा स्थापित होती है।



